शुक्रवार, 22 नवंबर 2013

"हीरा रत्न क्यों कब और कैसे पहनें "{झा शास्त्री }

"हीरा रत्न क्यों कब और कैसे पहनें "{झा शास्त्री }
-----हीरा रत्न को अंग्रेजी भाषा में डायमंड स्टोन कहते हैं । वृष एवं तुला राशि के साथ -साथ कुंडली में शुक्र की स्थिति को देखकर धारण करना चाहिए हीरा का स्वामी शुक्र है ।
     -----हीरा का रंग स्वेत ,कठोर जिसे हम नहीं खुरच सकते हैं न ही घिस सकते हैं एवं जिससे लाल -नीली किरणें निकलती हैं ,साथ ही हीरा में काले रंग के बिंदु न हों तो वह हीरा उत्तम दर्जे का होता है ।
   -----हीरा रत्न को सभी रत्नों का सरताज माना जाता है । शुक्र समृद्धि और वैभव का प्रतीक कुंडली में माना जाता है । इसलिए हीरा रत्न धारण करने से जातक पर बल ,कामेच्छा और व्यापारियों के कारोबार की वृद्धि होती है । घर में पति -पत्नी की कलह दूर करने के लिए हीरा रत्न धारण करना उचित रहता है ।
-------  हीरा रत्न की पहचान आप इस प्रकार से कर सकते हैं --------- {1 }गरम दूध में हीरा डालने पर दूध जल्दी ठंढा हो जाता है । --{2 }-पिघले हुए घी में हीरा डालने पर घी शीघ्र जमने लगता है ---{3 }-धूप में रखे हीरे से सतरंगी किरणें निकलती दिखाई देती है ।
   नोट आपकी कसौटी पर हीरा सटीक उतरे तो हीरा होगा अन्यथा जरकिन उपरत्न हो जायेगा ----इसे शुक्रवार को उचित लग्न एवं शुक्ल पक्ष में धारण करना चाहिए ।
आपका ज्योतिष सेवा सदन प्रबंधक पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री मेरठ भारत ----निःशुल्कज्योतिष  परामर्श शाम 7 से 9 में मित्रता से एकबार अवश्य प्राप्त करें----सम्पर्कसूत्र द्वारा -09897701636 +09358885616 =--www.facebook.com/
pamditjha

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें