- "भवन निर्माण में शेषनाग का विचार अवश्य करें ?"
--एन्द्रियाम सिरों भाद्रपदः त्रिमासे। याम्याम शिरो मार्ग शिरस्त्रयम च । फाल्गुनी मासाद दिशि पश्चिमीयाम।ज्येष्ठात त्रिमासे च तिथोत्तरेशु ।।
-----{1 }भाव -भाद्रपद ,आश्विन ,एवं कार्तिक {सितम्बर ,ओक्ट्बर ,नवम्बर }इन तीन महीनों में शेषनाग का सिर पूर्व दिशा में रहता है ।
---{2 }-मार्गशीर्ष ,पौष ,एवं माघ {दिसंबर ,जनवरी ,फरवरी }इन तीन मासों में शेषनाग का सिर दक्षिण दिशा में रहता है ।।
---{3 }-फाल्गुन ,चैत्र ,वैशाख { मार्च ,अप्रैल ,मई }-इन तीनों मासों में शेषनाग का सर पश्चिम दिशा में रहता है ।
----{4 }-ज्येष्ठ ,आषाढ़ ,एवं श्रावण{जून ,जुलाई ,अगस्त }इन तीनों मासों में शेषनाग का सिर" उत्तर दिशा में रहता है ।।
--- "शिरः खनेत मात्री पितरोश्चा हन्ता खनेत पृष्ठं भयरोग पीड़ा । तुछ्यम खनेत त्रिशु गोत्र हानिः स्त्री पुत्र लाभों वाम कुक्षो ।
---अर्थात -जो कोई शेषनाग के सिर [मुख } पर से मकान की नीव रखकर चिनाई शुरू कर दे -तो उस मकान मालिक के माता पिता को हानी पहुँचती है । पीठ पर चिनाई करने से भय एवं रोग से पीड़ित रहते हैं भूमिपत्ति।पूंछ पर चिनाई करने से वंशावली दोष से पीड़ित हो जाते हैं मकान के स्वामी ।और खली जगह पर चिनाई करने से पत्नी को कष्ट होता है ,एवं पुत्र ,धन की भी हानी होती है ।।
अतः ----जब सूर्यदेव-सिंह ,कन्या,तुला राशि में हों तो--अग्नि दिशा में खोदें एवं चिनाई शुरू करें ।
------जब सूर्य देव -वृश्चिक ,धनु ,या मकर राशि में हों तो -ईशान कोण में चिनाई शुरू करनी चाहिए ।
-------जब सूर्यदेव -कुम्भ ,मीन या मेष राशि में हों तो वायव्य कोण में चिनाई शुरू करनी चाहिए ।
----जब सूर्य देव -वृष ,मिथुन या कर्क राशि में हों तो चिनाई नर्रितय कोण से शुरू करें ।
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गुरुवार, 28 नवंबर 2013
"भवन निर्माण में शेषनाग का विचार अवश्य करें ?{"झा शास्त्री}
बुधवार, 27 नवंबर 2013
"भवन लेने से पहले ये पढ़ें ?"-{झा शास्त्री -मेरठ }
"भवन लेने से पहले ये पढ़ें ?"-{झा शास्त्री -मेरठ }
निवास की कामना सबको होती है । कुन्तु निवास की कोंनसी दिशा हो ,एवं कहाँ लें, यह सभी सोचते जरुर हैं । -निवास के स्थान को {वास्तु }शास्त्रों में कहा गया है ।--स्थान बलबती राजन ? अर्थात स्थान मजबूत हो तो स्थान पर रहने वाले बहुत ही मजबूत हो जाते हैं ।
आइये हम आपको भवन या जगह लेने में कुछ सुझाव देते हैं---?
{1}-मेष -राशि वालों को -नगर अथवा भूखंड के उत्तर भाग की पहली जगह या मकान नहीं लेने चाहिए ।
{2 }-वृष-मिथुन सिंह और मकर राशिवालों को नगर या भूखंड के मध्य भाग की जगह या मकान अत्यधिक रास नहीं आते हैं।।
{3 }-वृष एवं मिथुन राशि के लोग -भूखंड के मध्य भाग में न वसें ।
{4 }-वृश्चिक राशि के लोग -भूखंड के पूर्व भाग में न वसें ।
{5 }-मीन राशि के लोग -भूखंड के अग्निकोण में निवास न लें ।
{6}-कन्या राशि के लोग भूखंड के दक्षिण भाग में न वसें ।
{7 }-कर्क राशि के लोग भूखंड के नैरित्य कोण अर्थात दक्षिण एवं पश्चिम के कोण में निवास न लें ।
{8 }-धनु राशि के लोग भूखंड के पश्चिम भाग में निवास न करें ।
{9 }-तुला राशि के लोग भूखंड के वायव्य कोण अर्थात उत्तर एवं पश्चिम के कोण में निवास स्थान न लें ।
{10 }-मेष राशि के लोग भूखंड के उत्तर भाग में निवास स्थान न लें ।
{11 }-कुम्भ राशि के लोग ईशान कोण में अर्थात उत्तर और पूर्व के भाग में निवास न लें ।
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निवास की कामना सबको होती है । कुन्तु निवास की कोंनसी दिशा हो ,एवं कहाँ लें, यह सभी सोचते जरुर हैं । -निवास के स्थान को {वास्तु }शास्त्रों में कहा गया है ।--स्थान बलबती राजन ? अर्थात स्थान मजबूत हो तो स्थान पर रहने वाले बहुत ही मजबूत हो जाते हैं ।
आइये हम आपको भवन या जगह लेने में कुछ सुझाव देते हैं---?
{1}-मेष -राशि वालों को -नगर अथवा भूखंड के उत्तर भाग की पहली जगह या मकान नहीं लेने चाहिए ।
{2 }-वृष-मिथुन सिंह और मकर राशिवालों को नगर या भूखंड के मध्य भाग की जगह या मकान अत्यधिक रास नहीं आते हैं।।
{3 }-वृष एवं मिथुन राशि के लोग -भूखंड के मध्य भाग में न वसें ।
{4 }-वृश्चिक राशि के लोग -भूखंड के पूर्व भाग में न वसें ।
{5 }-मीन राशि के लोग -भूखंड के अग्निकोण में निवास न लें ।
{6}-कन्या राशि के लोग भूखंड के दक्षिण भाग में न वसें ।
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Today's Thought:By-jha shastri-Meerut-India
- Today's Thought:-Successful people dont relax in chairs.-They relax in work.-They sleep with a DREAMAnd wake up with a commitment.Good Morning.
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मंगलवार, 26 नवंबर 2013
"सार्थक या निरर्थक?महाकवि "की यह रचना "{?" झा शास्त्री }
"सार्थक या निरर्थक?महाकवि "की यह रचना "{?" झा शास्त्री }
भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिये तमाम वस्तु उपलब्ध होने के बाद भी होशियार पाचक न हो तो स्वादिष्ट भोजन का आनंद नहीं मिल पाता है -ठीक इसी प्रकार से मानव होने के वाद भी मानवता को हम नहीं समझ पाते हैं | आवागमन का जो मेला है उसमे हमलोग आते हैं ,और यूँ ही चले भी जाते हैं ,बाल्यकाल का तो पत्ता ही नहीं चल पाता है ,तरुण अवस्था तो मदोन्मत्त होने के कारण हम किसी की सुनते ही नहीं हैं ,जब प्रौढ़ होते हैं ,तो समय साथ नहीं देता है -जब हम पीछे मुर कर देखते हैं,तो समझ में ही नहीं आता कि इतना समय बीत गया ,और हमें पत्ता ही नहीं चला ? जी हाँ मित्र प्रवर -एक भौरा किसी पुष्प का पराग चूस रहा था ,उसको पत्ता ही नहीं चला कि जब शाम होती है तो जो कमल के पुष्प होते हैं, वो सिकुर भी जाते हैं | और हम चाहकर भी नहीं निकल पायेंगें ,संयोग से -शाम हुई ,और "भौरा "कमल रूपी पुष्प में सिकुर गया तो -सोचने लगा -"रात्रिर गमिष्यति भविष्यति सुप्रभातम =रात बीतेगी और सुन्दर सुवह होगी |"भास्वान उदिश्यती हसिस्यती पंक्जस्य =भगवान् सूर्य निकलेंगें और यह कमल के पुष्प खिलेंगें ,अर्थात जब सूर्यास्त होता है तो कमल के पुष्प सिकुर जाते हैं और जब सूर्योदय होता है तो कमल के पुष्प खिलने लगते हैं [यही विशेषता कमल की है]"इत्थं बिचिन्त्य मति द्विरेफः="भौरा अपने मन में यही बिचार कर ही रहा था,कि क्या हुआ ,"हा हंत हंत गजनी ....इतनी ही देर में कोई हाथी आया और उस कमल के पुष्प को रोंद कर चला गया || महा कवि के महा ग्रन्थ की इतनी बड़ी विशेषता होने के वाद भी आपको यत्न सम्मान नहीं मिला ||मित्र बंधुओं -यह महा "कविजीने "यह समझाने की कोशिश कि है.कि हमें काल रूपी जो पाश है उससे हम किस प्रकारसे सजग हो सकते हैं||
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भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिये तमाम वस्तु उपलब्ध होने के बाद भी होशियार पाचक न हो तो स्वादिष्ट भोजन का आनंद नहीं मिल पाता है -ठीक इसी प्रकार से मानव होने के वाद भी मानवता को हम नहीं समझ पाते हैं | आवागमन का जो मेला है उसमे हमलोग आते हैं ,और यूँ ही चले भी जाते हैं ,बाल्यकाल का तो पत्ता ही नहीं चल पाता है ,तरुण अवस्था तो मदोन्मत्त होने के कारण हम किसी की सुनते ही नहीं हैं ,जब प्रौढ़ होते हैं ,तो समय साथ नहीं देता है -जब हम पीछे मुर कर देखते हैं,तो समझ में ही नहीं आता कि इतना समय बीत गया ,और हमें पत्ता ही नहीं चला ? जी हाँ मित्र प्रवर -एक भौरा किसी पुष्प का पराग चूस रहा था ,उसको पत्ता ही नहीं चला कि जब शाम होती है तो जो कमल के पुष्प होते हैं, वो सिकुर भी जाते हैं | और हम चाहकर भी नहीं निकल पायेंगें ,संयोग से -शाम हुई ,और "भौरा "कमल रूपी पुष्प में सिकुर गया तो -सोचने लगा -"रात्रिर गमिष्यति भविष्यति सुप्रभातम =रात बीतेगी और सुन्दर सुवह होगी |"भास्वान उदिश्यती हसिस्यती पंक्जस्य =भगवान् सूर्य निकलेंगें और यह कमल के पुष्प खिलेंगें ,अर्थात जब सूर्यास्त होता है तो कमल के पुष्प सिकुर जाते हैं और जब सूर्योदय होता है तो कमल के पुष्प खिलने लगते हैं [यही विशेषता कमल की है]"इत्थं बिचिन्त्य मति द्विरेफः="भौरा अपने मन में यही बिचार कर ही रहा था,कि क्या हुआ ,"हा हंत हंत गजनी ....इतनी ही देर में कोई हाथी आया और उस कमल के पुष्प को रोंद कर चला गया || महा कवि के महा ग्रन्थ की इतनी बड़ी विशेषता होने के वाद भी आपको यत्न सम्मान नहीं मिला ||मित्र बंधुओं -यह महा "कविजीने "यह समझाने की कोशिश कि है.कि हमें काल रूपी जो पाश है उससे हम किस प्रकारसे सजग हो सकते हैं||
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सोमवार, 25 नवंबर 2013
"केतुरत्न"लहसुनिया कब ,क्यों और कैसे पहनें "झा शास्त्री "?"
----केतु ग्रह से पीड़ित व्यक्ति ही लहसुनिया रत्न धारण करते हैं । दिन शनिवार शुभ लग्न एवं शुक्ल पक्ष में कुण्डली का सही आकलन करके पहनना चाहिए ।
-----लहसुनिया का महत्व -----लहसुनिया रत्न को आंग्ल{अंग्रेजी } भाषा में-कैट्स आई कहते हैं । बिल्ली की आंख -जैसी चमकवाला सफेद ,नारंगी ,हरा रंग का होता है यह रत्न । जब भी कार्यों में बाधा आती है ,चोट लगती है ,साथ ही दुर्घटना का भय सा प्रतीत होने लगता है ,तथा उन्नति में बाधाऐं आने पर लहसुनिया रत्न सही परामर्ष से धारण करना चाहिए यद् रहे अगर परेशानी का कारन केतु हो तभी यह रत्न धारण करना चाहिए ।
----लहसुनिया रत्न की पहचान आप इस प्रकार से कर सकते हैं -----{1 }-यदि लहसुनिया रत्न को अंधेरे में रखा जाये तो वह बिल्ली की आंखों की तरह चमकता हुया दिखाई देगा । ----{2 }-यदि लहसुनिया रत्न को 24 घंटे तक किसी हड्डी पर रखा जाए तो यह हड्डी के आर पार छेद कर देता है ।
-------नोट --आज के वैज्ञानिक युग में भी हैम आस्थाओं को महत्व देते हैं इसलिए विस्वास रखना बहुत जरुरी है । पर इसका मतलब यह भी नहीं है कि रत्नों को अपने भाग्यावरोध हटाने का यंत्र समझकर कर्म न करें रत्न अलंकार होते हैं कर्म तो सर्वोपरि हटा है ।
आपका ज्योतिष सेवा सदन प्रबंधक झा शास्त्री मेरठ उत्तर पदेश {भारत }निःशुल्क ज्योतिष जानकारी केवल फेसबुक पर मित्रता से ही रात्रि 7 से 9 में एकबार फ़ोन से प्राप्त कर सकते हैं --साथ ही विदेशों में रहने वाले हिन्दी भाषी स्काइप पर एकबार निःशुल्क मित्रता से प्राप्त कर सकते हैं समय -शाम 7 से 9 के बीच किन्तु दोस्ती पहले फेसबुक पर करनी होगी --अधिक जानकारी हेतु इस लिंक पर पढ़ें - --www.facebook.com/pamditjha ----सहायता सूत्र -09897701636 +093588885616
-----लहसुनिया का महत्व -----लहसुनिया रत्न को आंग्ल{अंग्रेजी } भाषा में-कैट्स आई कहते हैं । बिल्ली की आंख -जैसी चमकवाला सफेद ,नारंगी ,हरा रंग का होता है यह रत्न । जब भी कार्यों में बाधा आती है ,चोट लगती है ,साथ ही दुर्घटना का भय सा प्रतीत होने लगता है ,तथा उन्नति में बाधाऐं आने पर लहसुनिया रत्न सही परामर्ष से धारण करना चाहिए यद् रहे अगर परेशानी का कारन केतु हो तभी यह रत्न धारण करना चाहिए ।
----लहसुनिया रत्न की पहचान आप इस प्रकार से कर सकते हैं -----{1 }-यदि लहसुनिया रत्न को अंधेरे में रखा जाये तो वह बिल्ली की आंखों की तरह चमकता हुया दिखाई देगा । ----{2 }-यदि लहसुनिया रत्न को 24 घंटे तक किसी हड्डी पर रखा जाए तो यह हड्डी के आर पार छेद कर देता है ।
-------नोट --आज के वैज्ञानिक युग में भी हैम आस्थाओं को महत्व देते हैं इसलिए विस्वास रखना बहुत जरुरी है । पर इसका मतलब यह भी नहीं है कि रत्नों को अपने भाग्यावरोध हटाने का यंत्र समझकर कर्म न करें रत्न अलंकार होते हैं कर्म तो सर्वोपरि हटा है ।
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रविवार, 24 नवंबर 2013
Have a thought day-jha shastri{Meerut-India}
- -Thought-A goog frieng is a computer .He enters your life
.Save u in his heart Formats your problems ,And never deletes you ,From
his memory.
Wlcome all friends available astro -night 7pmto9pm only--once free-only-call me----09897701636+09358885616--By-jha shastri
आपका ज्योतिष सेवा सदन मेरठ -भारत --सहायता सूत्र -09897701636 +09358885616 स्काइप = jyotish.seva.sadan-------फेसबुक ---www.facebook.com/pamditjha
"गोमेद रत्न क्यों ,कब और कैसे पहनें -झा शास्त्री {मेरठ }
"गोमेद रत्न क्यों ,कब और कैसे पहनें -झा शास्त्री {मेरठ }
---राहु ग्रह को खुश करने के लिए या फिर राहु ग्रह की बुरी दृष्टि से बचने के लिए गोमेद अंग्रेजी में जिरकॉर्न
कहते हैं को पहनने ते हैं ।
------गोमेद रत्न ---- लाल धुएं के रंग का होता है । लाल, काला या पीला रंग युक्त गोमेद उत्तम माना जाता है । यह राहु के दोषों को दूर करने के लिए पहनना चाहिए । रोजगार में विशेष व्यवधान होने पर ,धन स्थिर नहीं रहता हो ,मन अशांत रहता हो ,घर में मन नहीं लगता हो तब सही कुण्डली का आकलन करके धारण करना चाहिए -गोमेद रत्न ।
-------गोमेद रत्न को आप खुद परख सकते हैं -------{1 }--असली गोमेद रत्न को गोमूत्र में 24 घंटे रखने पर गोमूत्र का रंग बदल जाता है । ={2 }----दूध में असली गोमेद रत्न डालने पर दूध का रंग गोमूत्र की तरह दिखने लगता है ।
--------धारण --बुधवार रात्रि 12 बजे के उपरान्त शुक्ल पक्ष एवं सही लग्न में धारण करना चाहिए ।
------ज्योतिष सेवा निःशुल्क एकबार प्राप्त करें -------अगर विदेशों में रहते हैं तो निःशुल्क ज्योतिष जानकारी एकबार शाम 7 से 9 के बीच स्काइप पर प्राप्त कर सकते हैं किन्तु पहले दोस्ती फेसबुक पर करनी होगी ।
आपका ज्योतिष सेवा सदन मेरठ -भारत --सहायता सूत्र -09897701636 +09358885616 स्काइप = jyotish.seva.sadan-------फेसबुक --->www.facebook.c
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---राहु ग्रह को खुश करने के लिए या फिर राहु ग्रह की बुरी दृष्टि से बचने के लिए गोमेद अंग्रेजी में जिरकॉर्न
कहते हैं को पहनने ते हैं ।
------गोमेद रत्न ---- लाल धुएं के रंग का होता है । लाल, काला या पीला रंग युक्त गोमेद उत्तम माना जाता है । यह राहु के दोषों को दूर करने के लिए पहनना चाहिए । रोजगार में विशेष व्यवधान होने पर ,धन स्थिर नहीं रहता हो ,मन अशांत रहता हो ,घर में मन नहीं लगता हो तब सही कुण्डली का आकलन करके धारण करना चाहिए -गोमेद रत्न ।
-------गोमेद रत्न को आप खुद परख सकते हैं -------{1 }--असली गोमेद रत्न को गोमूत्र में 24 घंटे रखने पर गोमूत्र का रंग बदल जाता है । ={2 }----दूध में असली गोमेद रत्न डालने पर दूध का रंग गोमूत्र की तरह दिखने लगता है ।
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