" मूंगा और मंगल ग्रह+ रत्न को परखें और धारण करें -- "झा शास्त्री "{ मेरठ}?"
मित्र प्रवर ,राम -राम ,नमस्कार ||
मंगल रत्न मूंगा {अंग्रेजी में -कोरल कहते हैं }ये सिंदूरी लाल रंग का
होता है | मंगल ग्रह को ज्योतिष में सेनापति माना जाता है |यह शक्ति का
प्रतीक है |जो लोग कमजोर हों ,सुस्त हों उन्हें यह धारक करना चाहिए |शत्रु
पर विजय ,कारोबार में उन्नति ,पदोन्नति आदि के लिए भी लोग मूंगा धारण करते
हैं |यदि मंगल कुंडली में नीच का हो तो धारण नहीं करना चाहिए वरना लड़ाई-
झगडे तक करवा देता है "मूंगा "||
मूंगा की पहचान आप स्वयं भी शास्त्र सम्मत कर पहन सकते हैं ?-
[1 ]-मूंगा को दूध में डालने पर दूध में से लाल रंग की झी दिखती है |
[2 ]-तेज धुप में मुंगे को कागज या रूई पर रखें तो वह कागज या रूई जलने लगता है ||
भाव -संसार में सभी अलंकार ये युक्त होते हैं ,ये अलंकार को हटा
दिया जाय तो जीवन की कल्पना या सुन्दरता में कुछ कमी रह जाएगी | ग्रंथों
में भी अलंकार रस का प्रयोग होता है इसके बिना ये काव्य भी नीरस सा प्रतीत
होते हैं |किन्तु ज्योतिष के अलंकार रूपी रत्न -शोभा के साथ -साथ विपरीत
परिस्थिति में सहायक भी होते हैं ये शोभा तो बढ़ाते ही हैं दयनीय अवस्था के
सहायक भी होते हैं -किन्तु यदि सही परखकर न लिया जाय तो रत्न की जगह
उपरत्न हो जाते हैं -जो हमारी किसी भी प्रकार की रक्षा नहीं करते हैं ||
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री " मेरठ {भारत }
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