"ज्योतिष की दृष्टि में "भारत" का सन 2013+14 कैसा रहेगा ?"
स्वतंत्र भारत का यह 66+67 वां साल है जिसे ज्योतिष की दृष्टि में संवत -2070 कहेंगें ----इस संवत के अनुसार भारत वर्ष की कुंडली में उच्च स्थित शनि +मंगल की युति है तथा राहु +मंगल एक राशि गोचर में स्थित हैं---अतः सबसे बड़ी बात यह है अगस्त से अक्तुवर के बीच का समय प्रमुख राजनेताओं अर्थात -कन्या ,सिंह ,तुला एवं कुम्भ राशि वालों के लिए उत्तम नहीं है इन राशि के राष्ट्रनायकों को अपनी -अपनी सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए । क्योंकि -कन्या राशि का स्वामी बुध इस संवत -2070 -वर्ष की कुंडली में अतिचारी है -तथा कन्या राशि में नीच का शुक्र पर मंगल की दृष्टि भी है और शनि +राहु तुला राशि में है इसके साथ -साथ शनि की सूर्य पर पूर्ण दृष्टि पर रही है --इतना ही नहीं मुन्था {वर्ष कुंडली में }अष्टम भाव में नीच चन्द्र के साथ है ----इसलिए यह साल भारतीय राजनीति में विशेष उथल -पुथल भरा रहेगा और परिवर्तन भी लेकर आयेगा ।
अस्तु ----केन्द्रीय सहयोगी दल यू .पी .ए .के सहयोगी गठबंधन से अलग होने की सोचने लगेंगें अर्थात अलग हो सकते हैं तथा सत्ता पक्ष को भारी हानि हो सकती है ।
------मार्च 2014-ई .से संवत के अंत तक शनि +मंगल के वक्र स्थिति के कारण आश्चर्य जनक परिणामों वाली भी रहेगी । --अगस्त एवं अक्टूवर तक इन तमाम विपरीत ग्रहों की दृष्टि के कारण समुद्रतटवर्ती क्षेत्र +एवं पर्वती भूभागों पर प्राकृतिक आपदा ,भूकंप ,तूफान ,महानगरों में जन धन की हानि {उग्रवाद के कारण }का संकेत भी है । -----कर्ज --संकट पूरे यूरोप को चपेट में ले लेगा । भारत में भी राजस्व घाटे और मुद्रास्फीति के कारण आर्थिक सुधार प्रक्रिया पर बुरा असर पड़ने के योग हैं ।
----भारत -आर्थिक दृष्टि से विश्व में प्रतिष्ठित देशों में अपना स्थान बना लेगा । आर्थिक प्रगति के क्षेत्र में घोटाले के कारण भी हानि हो रही है । हमारे महामहिम राष्ट्र पति जी को भी भारत की राजनैतिक -परिस्थिति चिंतित कर सकती है ।
नोट --इस वर्ष -18अगस्त से 5 अक्टूवर तक ,एवं 1 मार्च 2014 से संवत के अंत तक का राजनीति का समय उथल -पुथल भरा रहेगा ।=-
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