बुधवार, 30 अक्तूबर 2013

प्राचीन कल में शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान प्राप्ति होता था?"

  • -----विद्यार्थी किसी योग्य विद्वान के निर्देशन में विभिन्न प्रकार की शिक्षा ग्रहण करते थे |इसके  अतिरिक्त उसे शस्त्र सञ्चालन एवं विभिन्न कलाओं का प्रशिक्षण भी दिया जाता था |किन्तु वर्तमान समय में यह सभी प्रशिक्षण गौण हो गए हैं |शिक्षा की महत्ता बढ़ने व् प्रतिस्पर्धात्मक युग में सजग रहते हुए बालक के बोलने व् समझने लगते ही माता -पिता शिक्षा के बारे में चिंतित हो जाते हैं |कुछ वर्षों बाद सबसे बड़ी समस्या यही होती है कि कौन सा विषय पढ़ायें ,जिससे उनके बच्चे का भविष्य सुखमय हो ?----{1}-सर्वप्रथम जातक के बचपन से ही उसकी कुंडली विषय की पढाई व् कैरियर चयन में सहायक होती है |---{2}जातक की कुंडली से तय करना चाहिए कि वह नौकरी करेगा या व्यवसाय |---{3}-जातक कि २० से ४० वर्ष की उम्र के बिच की ग्रहदशा का सूक्षम अध्ययन कर यह देखना चाहिए कि दशा किस प्रकार के कार्यक्षेत्र का संकेत दे रही है |----{4}-आगामी गोचर या दशा कार्य क्षेत्र में तरक्की का संकेत दे रही है या नहीं ? इसका भी परीक्षण कर लेना चाहिए |---कुंडली में शिक्षा का योग -----जन्म कुंडली का नवम भाव धर्म त्रिकोण स्थान है ,जिसके स्वामी देव गुरु वृहस्पति हैं | यह भाव शिक्षा में महत्वाकांक्षा व् उच्च शिक्षा तथा उच्च शिक्षा किस स्टार कि होगी इसको दर्शाती है | यदि इसका सम्बन्ध पंचम से हो जाये तो अच्छी शिक्षा मिलती है ||----शिक्षा का स्तर------जन्मकुंडली  का पंचम भाव बुद्धि ,ज्ञान ,कल्पना ,अतीन्द्रिय ज्ञान,रचनात्मक कार्य ,याददास्त व् पूर्वजन्म के संचित कर्म को दर्शाता है | यह शिक्षा के संकाय का स्तर तय करता है ||-----शिक्षा किस प्रकार की होगी --------जन्मकुंडली का चतुर्थभाव मन का भाव है |यह इस बात का निर्धारण करता है कि आपकी मानसिक योग्यता किस प्रकार की शिक्षा में होगी |जब भी चतुर्थ भाव का स्वामी छठे ,आठवें या बारहवें भाव में गया हो या नीच राशि,अस्त राशि ,शत्रु राशि में बैठा हो व् करक ग्रह {चंद्रमा } पीड़ित हो तो शिक्षा में मन नहीं लगता है ||-----शिक्षा का उपयोग -----जन्मकुंडली का द्वितीय भाव -वाणी ,धन ,संचय ,व्यक्ति की मानसिक स्थिति को व्यक्त करता है तथा यह दर्शाता है कि शिक्षा आपने ग्रहण कि है वह आपके लिए उपयोगी है या नहीं |यदि इस भाव पर पाप ग्रह का प्रभाव हो तो जातक शिक्षा का उपयोग नहीं करता है |--- जातक को बचपन से किस विषय की पढाई करवानी चाहिए ,इस हेतु हम मूलतः निम्न चार पाठ्यक्रम{ विषय } को ले सकते हैं --गणित ,जिव विज्ञानं ,कला और वाणिज्य -----  {1}-गणित ---गणित के करक ग्रह बुध का सम्बन्ध यदि जातक के लग्न ,लग्नेश या लग्न नक्षत्र से होता है तो वह गणित में सफल होता है || {2}-शनि एवं मंगल किसी भी प्रकार से सम्बन्ध बनायें तो जातक -मशीनरी कार्य में दशा होता है ||---जीव विज्ञानं -सूर्य का जल राशिस्थ होना ,छठे एवं दशम भाव /भावेश के बीच सम्बन्ध ,सूर्य एवं मंगल का सम्बन्ध आदि चिकित्सा क्षेत्र में पढाई के करक होते हैं---कला ------पंचम /पंचमेश एवं करक गुरु ग्रह का पीड़ित होना कला के क्षेत्र में पढाई का करक होता है | इन पर शुभ ग्रहों की दृष्टि पढाई प[उरी करवाने में सक्षम होती है ||--वाणिज्य --लग्न /लग्नेश का सम्बन्ध बुध के साथ -साथ गुरु से भी हो तो जातक वाणिज्य की पढाई सफलता पूर्वक करता है ||-- आइये जानते हैं अच्छी शिक्षा के योग -------{1}-द्वितीयेश या वृहस्पति केंद्र या त्रिकोण में हों |-{2}-पंचम भाव में बुध की स्थिति अथवा दृष्टि या बृहस्पति और शुक्र की युति हो |-{3}-पंचमेश की पंचम भाव में वृहस्पति या शुक्र के साथ युति हो ?{4}-बृहस्पति ,शुक्र और बुध में से कोई भी केंद्र या त्रिकोण में हो ?--------नोट - शिक्षा की सलाह अपने -अपने पुरोहित जी आचार्यजी से लें और अपनी -अपनी संतानों को शिक्षा की सही राह दिखाएं ||---- भवदीय निवेदक -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री {मेरठ -उत्तर प्रदेश }  निःशुल्क ज्योतिष सेवा एकबार ही सभी मित्रों को संपर्क सूत्र द्वारा ही मिल पायेगी -रात्रि -7  से 9  में =09897701636 +09358885616    

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